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लेखनी प्रतियोगिता -05-Feb-2022समर्पण

भाव समर्पण का हो मन में,तो सब कुछ पा जाता है।
हर रस्ता आसान सा लगता, लक्ष्य नजर भी आता है।

प्रेम करो तो करो समर्पण,वरना कोई बात नहीं।
तुमसे अच्छा प्रेम तो फिर,पशुओं में पाया जाता है।
भाव समर्पण का हो मन में,तो सब कुछ पा जाता है।

धर्म कर्म और पाप मोक्ष की बातें, कितनी भी कर ले।
मगर बात जब दान की आये,कौड़ी न दे पाता है।
भाव समर्पण का हो मन में,तो सब कुछ पा जाता है।

साम दाम और दंड भेद से,करवा लो तुम मन की बात।
प्रेम मगर प्यारे देखो केवल मन से हो पाता है।
भाव समर्पण का हो मन में,तो सब कुछ पा जाता है।

इंदु विवेक उदैनियाँ
(स्वरचित)


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4 Comments

Sudhanshu pabdey

06-Feb-2022 10:06 AM

Very nice 👌

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Kaushalya Rani

05-Feb-2022 07:01 PM

Nice

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Barsha🖤👑

05-Feb-2022 06:35 PM

Nice

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